अगर तुम आज़ादी चुनोगी तो शायद अकेली रह जाओगी
तुम्हें इक्का दुक्का लोग समझ पाएंगे
तुम अपनी बात समझने के लिए शायद छटपटाओगी
लोग तुम्हारा अपमान करेंगे
तुम क्षोभ में उन्हें दूर करोगी, या खुद दूर हो जाओगी
व्यवस्था, समाज, हज़ार प्रकार के ढाँचे तुम्हारे साथ अन्याय करेंगे
तुम बेड़ियों में छटपटाओगी
और अगर बेड़ियाँ तोड़ेगी तो असुंदर कहलाओगी
किस्म किस्म के लेबल जब तुम खुद पर से उतार कर
अपनी आज़ादी पर खुद की मिल्कियत जमाओगी
तब अकेलेपन से तुम आज़ादी की कीमत चुकाओगी
लेकिन याद रखना
चाहे कितना भी अकेला महसूस करो, अकेली होगी नहीं तुम
जेल तोड़ कर, सजा काट कर आज़ाद हुयी
कुछ गिनी-चुनी औरतों की बहन बन जाओगी
और एक दिन इस बहनापे के लेबल से भी मुक्त हो कर
हर मज़लूम के साथ तुम्हारी आवाज़ खड़ी होगी
उस दिन आखिरकार तुम खुल के मुस्कुराओगी
देह मिटटी हो जाएगी तुम्हारी,
रूह आसमान
और तुम उस दिन, पूरी कायनात की हो जाओगी |
#चेतो_दर्पण_मार्जनम्_अनुपमा - Musings Post 3- 03.07.2021
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