अगली कुछ पोस्ट्स सीरीज़ में आएँगी | ये विशेष तौर पर पुरुषों के लिए है | आपसे दो निवेदन हैं -
1. सिर्फ पढ़ें | रिएक्ट करने कुछ दिन बाद आयें | मेरा यकीन मानिये बहुत सम्भावना है कि आपका आज का रिएक्शन और चार दिन बाद का रिएक्शन बहुत अलग अलग हो |
2. ध्यान रखें कि ये पोस्ट आपको किसी भी चीज़ के लिए कन्विंस करने के उद्देश्य से नहीं लिखी गयी है | आप इस में लिखी किसी भी बात से सहमति रखें या नहीं आप इसके लिए स्वतंत्र हैं | लेकिन बदले में ये भी ध्यान रखें कि महिलाओं को कन्विंस करने की कोशिश मेरी वाल पर न करें | मेरे यहाँ ईमानदारी और खुद के जिए हुए यथार्थ के अलावा बात करने वाली सवारी अपने सामान की खुद ज़िम्मेदार होती है !
मुझे ये कहना है कि मैं बहुत थक गयी हूँ | हम में से अधिकतर बहुत थक गयी हैं | हम इस बात से थकी हुयी हैं, कि जब हम आप लोगों को 'न' कहती हैं,तो आपको लगता है ये आपका मौका है हमसे मोल-भाव, निगोशिएट करने का | हम कहती हैं, हमें hookup नहीं करना, आप ' न' का सम्मान नहीं करते बल्कि हमें convince करने लगते हैं कि hookup में कुछ बुरा नहीं | अब इसे देखिये एक बार - hookup में कुछ बुरा नहीं, ठीक है | लेकिन एक आप ये मान लेते हैं कि हमें ये पता नहीं | दूसरा आप ये मान लेते हैं, कि हमें जो पता नहीं, वो बताने की, वो सिखाने की ज़िम्मेदारी आपकी है | तीसरा आप ये मान लेते हैं कि अगर हमें ये पता है तो हमें इसे स्वीकार कर के इसपे एक्शन लेना चाहिए | इन तीनों धारणाओं को बनाते समय, आप हमसे नहीं पूछते कुछ भी | ऐसे में ये धारणाएँ काल्पनिक हो जाती हैं, वास्तविक नहीं | अब इसमें ये भी जोड़ लीजिये कि औरतों को अमूमन रेप से, एसिड अटैक से, स्टॉकिंग से, दबाव से, भी जूझना पड़ता है | ऐसे में, आपकी ये काल्पनिक धारणाएँ हमारी लड़ाई में हमें आज़ादी नहीं देतीं बल्कि हमारी लड़ाइयाँ बढ़ा देती हैं | हमारे लिए एक और मोर्चा खुल जाता है जूझने के लिए | हम थकती हैं ये सोच के कि सिर्फ इसलिए कि आप को हमने दोस्त माना, या कि हम सोशल मीडिया पे हैं, या कि हम आपसे ऑफिस में, कॉलेज में, किसी पार्टी पे मिलीं, आप को लगता है कि आपकी हमारे बारे में धारणाएं सच हैं | हम थकती हैं, अपनी एजेंसी हासिल करने के लिए, जो अपने अपनी धारणाओं के चलते हमसे छीन ली | हम थकती हैं ये सोच के कि हम आप पर भरोसा नहीं कर सकतीं |
मुझे ये मालूम है कि आप लोगों की ज़िन्दगी में भी बहुत दबाव हैं | मेरे लिए ये बातें ज़्यादा दबाव, कम दबाव के बारे में नहीं हैं | लेकिन हम पीढ़ियों से थकती आ रही हैं | और मैं इन पोस्ट्स में आपसे सिर्फ तीन चीज़ें पूछना चाहती हूँ -
1. क्या आप पोस्ट से सहमति या असहमति जताये बिना, हम औरतों के लिए ये स्पेस बना सकते हैं, कि हमें आपसे बार बार नहीं कहने की ज़रुरत न पड़े | एक बार काफी हो?
2. क्या आप बिलकुल भी ग्लानि या गुस्सा महसूस किये बिना, अपने खुद के, अपने परिवार के और पुरुषों के, अपने मित्रों के व्यवहार में ऐसी हरकतों को नोटिस करने (और अगर आपकी हिम्मत हो तो उन्हें call out ) करने की कोशिश कर सकते हैं?
3. क्या आप ये कोशिश कर सकते हैं कि आप हमें ये बता कर कि ब्लॉक कर दो, इग्नोर कर दो, हमारी सुरक्षा का ज़िम्मा भी हम ही पर डाल कर हमारी थकन और न बढ़ाएं?
क्या आप हमारी पीढ़ियों की थकान कम करने में हमारे पार्टनर्स बन सकते हैं ?
- Anupama Garg 28.06.2021