Wednesday 29 December 2021

सेक्सुअल रिश्ते में खोखलापन क्यों ?

#sexuality_notes_by_Anupama  - 3

मैंने और एक लड़के ने आपसी सहमती से शारीरिक संबंध बनाए। कुछ महीनों से हमारा ये रिलेशन, जोकि सिर्फ शारिरिक संतुष्टि के लिए है, सही चल रहा है। हम एक दूसरे के साथ काफी कम्फर्ट महसूस करते हैं। पर मेरी दुविधा ये है कि मैं जब भी उस से मिलकर आती हुं, बहुत खालीपन महसूस करती हुं। मैंने जीवन के उस मोड़ पर ये संबंध बनाया जब मुझे प्रेम की बहुत ज़रूरत महसूस हो रही थी। जब से उसके साथ हूं तब से मुझे और ज्यादा खालीपन लग रहा और इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत महसूस हो रही है। लेकिन उसका साथ मुझे पसंद है, मैं कुछ ही वक्त के लिए सही पर प्रेम महसूस कर पाती हूं उसकी वजह से।
अपनी राय दें।

_______________

मेरी दोस्त, आपके प्रश्न से इतना समझ पायी कि आप महिला हैं | शायद सिंगल भी हैं | आपकी दुविधा समझ सकती हूँ | इस स्थिति को देखने के कई पहलू हैं, अतः मेरा उत्तर थोड़ा लम्बा हो सकता है | अगर संभव हो तो थोड़े धैर्य के साथ पढें :)

मेरी राय तो नहीं कहूँगी, लेकिन मेरा दृष्टिकोण इस स्थिति के बारे में जैसा है, वो बता रही हूँ | यदि उसमें से आपके कुछ और सवाल हों, तो फॉर्म में फिर से लिख सकती हैं |

प्रेम और सेक्स दो अलग अलग बातें हैं | प्रेम कई प्रकार का होता है, उनमें से प्रेम का एक प्रकार रोमांटिक या सेक्सुअल अट्रैक्शन भी है | इसलिए सबसे पहले अपने आप के साथ कुछ देर बैठ कर ये देखें कि आपने जब ये रिश्ता शुरू किया, तब भावनात्मक प्रेम की चाह थी, या यौन तृप्ति की? यदि इस रिश्ते से आपकी उम्मीद सिर्फ शारीरिक सुख की थी, और यदि वह सुख आप दोनों सहमति से, आनंदपूर्वक एक दूसरे से प्राप्त कर रहे हैं, तो फिर ये जो खालीपन आपको महसूस हो रहा है, ये कहाँ से आ रहा है इसे देखें | क्या ये खालीपन हमारी कंडीशनिंग  का हिस्सा तो नहीं ?

अक्सर हमारे आस पास लोग ऐसा दिखाते हैं कि उनकी रिलेशनशिप्स बहुत खुश हैं, वो बहुत प्रेम में हैं, वो बहुत सेक्सुअली संतुष्ट हैं | लेकिन ये इसलिए क्योंकि हमें लगता है, हम जैसे ही कहेंगे कि हमें संतुष्टि नहीं मिली, हमें जज किया जायेगा | हमें बुरी लड़की, या आवारा लड़के का तमगा मिल जायेगा | अब क्योंकि हम अपने आसपास हमेशा ये ही देखते हैं, तो हम अपने आप से, और अपने पार्टनर से भी ऐसी ही ऊंरेअलिस्टिक संतुष्टि की उम्मीद भी लगा बैठते हैं |

कभी कभी, इसके उलट ये भी होता है, कि किसी रिश्ते की शुरुआत तो होती है एक दृष्टिकोण के साथ, लेकिन समय के साथ साथ, एक या दोनों व्यक्ति की भावनाएं, ज़रूरतें बदल जाती हैं | कई बार हम अपने साथी को ये बताते ही नहीं | इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, झिझक, 'कहीं मेरे हाथ से ये भी न चला जाये' का डर, 'लेकिन हमने यहाँ से शुरू नहीं किया था, अब बोलेंगे तो साथी क्या समझेंगे?' का जजमेंट आदि | लेकिन बिना बताये तो कभी पता भी नहीं चलेगा कि सामने वाला इस बारे में क्या सोचता है? इसलिए संवाद से डर लगने के बाद भी संवाद ज़रूरी है ! ये संभव है कि आपने जो रिश्ता बिना उम्मीदों के शुरू किया, उससे अब आपकी ज़रूरतें बदल रही हों | ये भी संभव है कि आपके साथी को भी ऐसा लग रहा हो | ऐसे में बात करें ताकि सही स्थिति की पूरी समझ विकसित हो पाए |

इस स्थिति को देखने का एक और पहलू भी है | वो है Rebound और New Relationship Energy | जैसा आपने कहा - इस रिश्ते की शुरुआत एक ऐसे समय में हुयी, जब आपको प्रेम की बहुत आवश्यकता महसूस हो रही थी | कभी कभी, हम एक रिश्ते में से जब बाहर आते हैं, तो बहुत टूटे हुए होते हैं | ऐसे में किसी भी नए रिश्ते की शुरुआत, कुछ दिन, कुछ हफ़्तों, कुछ महीनों तक तो सुकून दे सकती है | लेकिन ऐसे किसी भी रिश्ते की नींव आम तौर पर कच्ची होती है, और बिना सुदृढ़ नींव के रिश्तों में एक समय के बाद खोखलापन मासूस होना लाज़िमी है | ऐसा नहीं है कि ये खोखलापन ठहराव वाले, लॉन्गटर्म रिश्तों में  आ सकता | लेकिन बिना पिछले रिश्ते को प्रोसेस किये, जब नए रिश्ते बनाये जाते हैं, तो ऐसा खालीपन देखने को ज़्यादा मिलता है | बहुत बार ऐसे में हम एक के बाद एक शार्ट टर्म अफेयर्स करते जाते हैं | इसमें नैतिक रूप से कुछ गलत नहीं है, लेकिन, यह रिलेशनशिप की ज़रुरत पूरी नहीं करता | ऐसे में कई बार यह भाव भी घर कर सकता है मन में, कि शायद मैं किसी रिलेशनशिप के लायक ही नहीं हूँ | जबकि इनमें से कुछ भी सच नहीं होता |

हर रिश्ते की एक New Relationship Energy या यूं समझ लें कि एक हनीमून पीरियड भी होता है | ये वो समय है जब रिश्ता नया है, समस्याएं कम और सब कुछ सुन्दर ही सुन्दर नज़र आता है | New Relationship Energy या NRE  का इस बात से कोई सम्बन्ध नहीं, कि आपका रिश्ता शारीरिक भर है, या भावनात्मक, बौद्धिक, सामाजिक आदि भी है | तो आपसे मुझे ये कहना है, कि आपको खालीपन या खोखलापन महसूस होने के पीछे एक कारण ये भी हो सकता है, कि कुछ महीने बीतने के बाद ये NRE आपकी रिलेशनशिप से ख़त्म हो रही हो |

इन सब बातों के बारे में आराम से सोच कर देखें | बिलकुल संभव है कि आपको शायद इस दुविधा के पीछे और कोई वजह भी नज़र आये | जहाँ तक इसके समाधान का सम्बन्ध है, आप जो भी समझेंगी, वो आपको आज या कल, जल्द या देर से, अपने साथी को तो बताना चाहिए, ऐसा मेरी समझ कहती है | उसके बाद उन्हें सोचने का मौका दे कर, उनके विचार जान कर, आप दोनों इस रिश्ते को कैसे, कितना, कब तक आगे बढ़ाना, ये बेहतर तय कर पाएंगे |

उम्मीद है, कुछ समाधान मिला होगा आपको :)

डिस्क्लेमर - मेरी वॉल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता | ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें | प्रश्न पूछना चाहें, तो वॉल पर पूछें, या फिर पहले कमेंट में गूगल फॉर्म है, वहां पूछ सकते हैं | इन पोस्ट्स को इनबॉक्स में आने का न्योता न समझें |

©Anupama Garg 2021

गूगल फॉर्म - https://forms.gle/9h6SKgQcuyzq1tQy6

क्या भावनात्मक रूप से एक हुए बिना / आत्मिक प्रेम बनाये बिना / बिना इमोशंस के / सेक्स संतुष्टि प्रदान कर सकता है?

#sexuality_notes_by_Anupama

क्या भावनात्मक रूप से एक हुये बिना सेक्स संतुष्टि प्रदान कर सकता है । दूसरे शब्दों में क्या आत्मिक प्रेम स्थापित हुये बिना मात्र शारीरिक स्तर पर किया गया मैथुन मन को तृप्त कर पाता है? यदि शारीरिक स्तर पर किया गया सेक्स और प्रेम में किये गये सेक्स समान रूप से संतुष्टि दायक हैं तो फिर अन्य अनेक लोगों को मैं देखता हूं कि वे किसी के साथ सारीरिक रूप से मैथुन करने के बाद पुनः शीघ्र ही अपनी संतुष्टि किसी अन्य पुरुष या स्त्री में खोजने लगते हैं, ऐसा क्यों है कि शारीरिक क्षुधा शांत होने पर भी मन अतृप्त रहता है ?

जी मैम, मैं इस संदर्भ में बहुत हद तक अनभिज्ञ हूं इसलिए यह प्रश्न अक्सर मेरे सामने आता है । इस संदर्भ में मेरा ग्यान ज्यादातर किताबी ही है, इसलिए प्रश्न में तनिक भ्रम सा दिखाई पड़ सकता है इसलिए क्षमा करें । भैरप्पा बहुत दृढ़ता से सम्भोग और मैथुन (sex) और सम्भोग को अलग अलग परिभाषित करता है |  वात्स्यायन भी इसमें अंतर करता है । जबकि अंग्रेजी में इसके लिये कोई अलग शब्द ही नहीं है । उपरवास से सम्भोग की प्रक्रिया तक स्त्री और पुरुष का पहुंचना क्या वस्तुतः मैथुन ही है और अगर ऐसा है तो परिणाम में सामान्यतः अंतर क्यों दिखाई देता है । क्यों एक पुरुष सुखी दामपत्य जीते हुये भी अपनी तृप्ति महसूस नहीं कर पाता और क्यों किसी को एक सामान्य चुम्बन भी तृप्ति का बोध करा देता है ?

_________________________________________________________________

इसका कोई सीधा जवाब नहीं है | सेक्स व्यक्तिगत होता है | कई लोग हैं, जिन्हें बिना बौद्धिक उत्तेजना के बगैर किया सेक्स संतुष्टि नहीं देता | ऐसे लोगों को Sapiosexual कहा जाता है | वहीँ दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें प्रेम में ही उत्तेजना, और प्रेमी के साथ किये सेक्स से ही आनंद की प्राप्ति होती है | ऐसे लोगों को Demisexual कहा जाता है | लेकिन वहीँ Asexual लोग भी हैं, जिन्हें सेक्सुअल उत्तेजना नहीं होती | उन्हें लोगों से प्रेम होता है, वे लोगों से शारीरिक, भावनात्मक सम्बन्ध बना सकते हैं, वे लोगों के गले लग सकते हैं, उन्हें बाहों में भी भर सकते हैं, उन्हें रोमांटिक स्पर्श की इच्छा भी हो सकती है, लेकिन सेक्स या जिसे आप मैथुन या सम्भोग कह रहे हैं, उसकी इच्छा नहीं होती |

ठीक इसी तरह ऐसे लोग भी हैं, जो सेक्स को सिर्फ शारीरिक आवश्यकता की तरह देखते हैं, उसे पूरा भी करते हैं, और उन्हें इसके लिए emotions या commitment या spiritual सम्बन्ध की आवश्यकता नहीं होती | इसका व्यक्ति के जेंडर से कोई सम्बन्ध नहीं है | महिलाएं या पुरुष कोई भी ऐसा हो सकता है | सेक्स को सिर्फ शारीरिक आवश्यकता की तरह देखने वाले लोग इसे पूरा भी करें, ये कोई ज़रूरी नहीं है | इसका मतलब ये भी नहीं, कि वे अपने सेक्सुअल साथी / साथियों के प्रति सम्मान नहीं रखते | ये भी ज़रूरी नहीं, कि बहुत से लोग ये समझते भी हों कि सेक्स उनके लिए मात्रा एक शारीरिक आवश्यकता है | विशेष तौर पर इसलिए क्योंकि सेक्स के बारे में हमारी समझ अधिकतर कंडीशनिंग, सामाजिक और नैतिक मूल्यों, दंड विधान आदि से विकसित होती है |

कई समाजों में (जैसे हमारे अपने समाज को ही उदाहरण के तौर पर देखें, या जैसे और भी बहुत से साउथ एशियाई देशों में सेक्स को ले कर बहुत कुंठा है), सेक्स की बात करने या, सेक्स की इच्छा दर्शाने पर, या सेक्स कर लेने पर भी, लोगों की सामाजिक, नैतिक प्रताड़ना की जाती है | ऐसे में लोग अक्सर ये दिखाने की कोशिश करते हैं, कि उन्हें अपने साथी से प्रेम भी है | ऐसे समाज में अक्सर, सेक्स की बातें, सेक्स की प्रक्रिया, और सेक्स का अनुभव, सभी बहुत ढोंग और कुंठाओं से भर जाता है |

वहीँ दूसरी ओर, जिन समाजों में सेक्सुअलिटी का सम्यक अध्ययन किया जा रहा है वहां सेक्सुअलिटी के बारे में नए तथ्य सामने आ रहे हैं | जहाँ अपनी सेक्सुअल डिजायर बताने पर पाबन्दी नहीं है, जहाँ सेक्सुअल भिन्नता के लिए दंड का प्रावधान नहीं है, वहां लोग ठीक से और सवालों के साथ, इस सवाल का भी जवाब दे पा रहे हैं | ये एक अलग बात है, कि धीरे धीरे वक़्त बदल रहा है, और जैसे जैसे समाज में लोगों के अनुभव बदलेंगे, वैसे ही धीरे धीरे शायद समाज की सेक्स, संतुष्टि, और आनंद को ले कर अवधारणाएं भी |

मेरे व्यक्तिगत अनुभव में, हमने सदियों से इस बारे में बात ही न कर के इस विषय को बेवजह ज़रुरत से ज़्यादा उलझन भरा बना दिया है | सेक्स अनुभव और संवाद का विषय ज़्यादा है, अध्ययन का कम | इसलिए हमारे प्रश्न यदि इस बात पर ज़्यादा ध्यान दें कि हम स्वयं, और अपने साथी को कैसे आनंद पहुंचा सकते हैं, तो हम पाएंगे कि हमारे सम्बन्ध कहीं बेहतर होंगे, बजाय इसके कि कामसूत्र में कितनी मुद्राएं हैं, या भैरप्पा सम्भोग व मैथुन के लिए अलग अलग term  उसे करते हैं या नहीं | वैसे सन्दर्भ में बताती चलूँ, कि अंग्रेज़ी में सेक्स शब्द को बहुत आराम से इस्तेमाल किया जाता है, मैथुन के लिए शब्द 'coitus' है, लेकिन वहां लोगों से ये उम्मीदें नहीं की जातीं कि वे जब तक शुद्ध भाषा में बात न कर सकें, तब तक उनके प्रश्न, उनके उत्तर, या उनके अनुभवजन्य विचार मान्य नहीं होंगे |

खैर विषय से इतर गए बिना, मूल प्रश्न पर लौटते हुए - सेक्स एक व्यक्तिगत अनुभव है, इसलिए कुछ लोगों को भावनात्मक रिश्ते के बिना संतुष्टि नहीं मिलती, कुछ लोगों को मिलती है | हाँ सहमति ज़रूरी है | भारतीय विधि के प्रावधान के अनुसार सहमति देने का विषय अपने आप में काफी विशद है, इसलिए वो किसी और दिन |

डिस्क्लेमर - मेरी वॉल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता | ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें | प्रश्न पूछना चाहें, तो वॉल पर पूछें, या फिर पहले कमेंट में गूगल फॉर्म है, वहां पूछ सकते हैं | इन पोस्ट्स को इनबॉक्स में आने का न्योता न समझें |

©Anupama Garg 2021

https://forms.gle/9h6SKgQcuyzq1tQy6

Questions about Sexuality

#sexuality_notes_by_Anupama

आज एक कॉलेज सीनियर ने फ़ोन किया | 18 - 19 साल का बच्चा है उनका | जब मैं मास्टर्स के एक्साम्स देने गयी थी, तब ये भी बच्चे को घर छोड़ कर आती थीं प्राइवेट एक्साम्स देने | हम दोनों अलग अलग सब्जेक्ट्स में थे, और ये शादी के कई सालों बाद दोबारा पढाई शुरू कर रही थीं | पति के साथ रिलेशनशिप बिलकुल उतनी ही टॉक्सिक और अब्यूसिव है, जितनी आम हिंदुस्तानी घरों में होती है | लेकिन बच्चे को इन्होंने बहुत खुले मन से पाला | 
 
बच्चा बड़े शहर की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ने जब गया पहली बार, तो इन्होने अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए, उसे सेफ सेक्स, प्रोटेक्शन, वगैरह भी समझाया | बच्चा वहां bumble tinder वगैरह चलाया, और hookup कर के आया |
अभी छुट्टियों में घर लौटा और बाप ने condoms देख लिए बच्चे के सामान में | उधर हमारी सीनियर को बच्चे ने खुले मन से बताया कि वो कैसे अपनी एक सीनियर विजिटिंग स्टूडेंट के साथ मिला डेटिंग एप्प पे, और उसने कैसे इंटिमेसी एक्स्प्लोर की | 'We enjoyed ourselves mumma without commitments, without baggage, and with safety. Maybe we will do it again'. 
 
 
मेरी दोस्त के चेहरे पर कुछ भाव आये, कुछ गए | बच्चे ने देखे, और बोला "Sorry mamma, I upset you " दोस्त ने बच्चे से कहा कि वो अपसेट नहीं हैं लेकिन मुझसे बात करते समय वो चिंतित थीं | उनके शब्द थे - "अनुपमा वो distract हो जायेगा पढ़ाई से | क्या मैंने उसे मेंटली prepare करने में कोई गलती कर दी? मैं डिस्कस किस से करूं ?"
 
मुझे लेकिन सिर्फ़ ये एक ही सवाल नहीं दिखा यहाँ | मुझे कई सवाल सुनाई दिए - कहे अनकहे | एक सवाल - क्या मेरी परवरिश में कमी रह गयी ? क्या मैं अच्छी माँ नहीं हूँ ? क्या मेरा बेटा बिगड़ रहा है ? क्या मेरा बेटा भटक जायेगा ?
 
खैर मेरी दोस्त और मेरा संवाद अधूरा रह गया, कि कोई आ गया दरवाज़े पर | वैसे भी हम दोनों तो करते ही रहेंगे अपना followup फ़ोन कॉल, लेकिन मेरा दिमाग कई पुराने संवादों की तरफ गया |
 
बहुत से संवाद हैं जो अलग अलग वक़्त पर, अलग अलग लोगों के साथ किये हैं मैंने, सेक्स, जेंडर, सेक्सुअलिटी के बारे में | और हर संवाद सिरे से शुरू करना पड़ा है | हर संवाद में यही निकल के आता है कि इस बारे में बात करने की ज़रुरत है, लेकिन टैबू है | और जितनी बार बात करो, सवाल फिर वही, तुमको ये ही बात क्यों करना है ? और भी तो इतना कुछ है बात करने के लिए? लिखने के लिए ! 
 
दुनिया कहाँ जा रही, और हम अभी गुड टच, बैड टच, कंसेंट में ही उलझे हैं, orgasm पर कब पहुंचेंगे? बात करते हैं तो या तो संस्कृतनिष्ठ हिंदी में जिसका रोज़मर्रा की बोलचाल से कोई लेना देना नहीं, या फिर स्लैंग में, जिसको सुन के ही उबकाई आ जाये | शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, बचपन की गलतियों के बोर्ड पढ़ लीजिये, किसी नए शहर में घुसते ही | ऑटो वाले को बदनाम गलियाँ ज़रूर पता होंगी, बाकी कुछ पता हो न हो | यहाँ तक कि एक बार मैं एक जाने माने सेक्सोलॉजिस्ट को इंटरव्यू करने गयी, और उनके चैम्बर के बाहर बैठे हुए मैंने सुना कि वो किसी मरीज़ से कह रहे थे 'तुझे घोड़ा बना दूंगा, चिंता मत कर |'
 
"मैडम आप लेस्बियन हैं क्या? वरना आप को सेक्सुअलिटी की स्टडी क्यों करनी है? आप डॉक्टर थोड़े ही हैं ? "
मेरा मन किया पूछूँ, "आप तो डॉक्टर हैं न? गे भी नहीं हैं, फिर उस बेचारे भले पेशेंट को घोड़ा क्यों बनाना चाहते थे?" 
 
मैं बिना इंटरव्यू लिए, शुक्रिया बोल कर चली आयी वहां से, लेकिन मैं आज भी देखती हूँ लोगों को सवालों के साथ घूमते हुए, और कचरा सीखते हुए, एंग्जायटी से डील करते हुए, रिश्तों को दरकते हुए, अनाप शनाप पैसा खर्चते हुए |
 
पिछले साल इसीलिए Pooja Priyamvada और मैंने 3 फेसबुक लाइव किये थे कुछ सवालों पर | कुछ Talks मैंने अकेले भी दी थीं | नए साल में मैं कुछ पोस्ट्स लिखना चाहती हूँ इस सम्बन्ध में | एक किताब शुरू की थी, लिखी भी, और फिर किसी कारणवश वो अटक गयी | इस साल वो भी पूरी की जाये, ऐसा इरादा है | 
 
तब तक, सेक्सुअलिटी, और सेक्स से सम्बंधित, प्रश्न आमंत्रित हैं | बस दो बातें -
1. कृपया सिर्फ सवाल पूछें, मुझे इस विषय पर क्यों नहीं लिखना चाहिए का ज्ञान न दें |
2. इनबॉक्स में घुसने का निमंत्रण न समझें इसे, और सवाल पूछने को, अपनी फैंटसीज शेयर करने का बहाना न समझें |
सेक्सुअल अवेयरनेस परिपक्वता में नज़र आती है, अश्लीलता में नहीं | कुछ दिनों में गूगल फॉर्म बना दूँगी, ताकि जो लोग बिना नाम बताये पूछना चाहें, पूछ सकें |

डिस्क्लेमर - मेरी वॉल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता | ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें | प्रश्न पूछना चाहें, तो वॉल पर पूछें, या फिर पहले कमेंट में गूगल फॉर्म है, वहां पूछ सकते हैं | इन पोस्ट्स को इनबॉक्स में आने का न्योता न समझें |
 
©Anupama Garg 2021