आज न जाने कौन कौन याद आ रहा है। वो दोस्त जो एक वेबसाइट से मिला था, 2 साल तक ज़िन्दगी में रहा और एक दिन 34 साल की उम्र में मर गया। वो सहेली, जो समझती थी, दयालु थी, ख़ास नहीं थी, लेकिन एक दिन अचानक सुसाइड से मर गयी। मेरे दादा-दादी, मेरे नाना-नानी, मेरे कई रिश्तेदार जिन्हें किसी वक़्त बहुत प्यार किया था, और आज उनसे दूर ही रहने में ठीक लगता है | हर वो लड़का, हर वो आदमी, जो जीवन में आया, और कुछ साल रहा। हर वो लड़की, हर वो औरत, जिसने दोस्ती और बहनापे की आड़ में कोई और ही एजेंडा चलाया। एक दोस्त जो पिछले साल Covid की वेव में बिना Covid के गुज़र गया।
मुझे नहीं पता कि अचानक से ऐसे क्यों लग रहा है जैसे दुःख और शोक मुझे डुबा देगा। जैसे समंदर की लहरें बढ़ी आ रही हों, और हाथ छोटे जा रहे हों, एक एक कर के। जबकि कुछ ख़ास, कुछ नया नहीं हुआ है। दिन भी अच्छा ही निकला है, काम और otherwise दोनों ही तरह से। जैसे empath energy blast हो। (समझाने को नहीं कहियेगा please) क्योंकि समझा नहीं पाऊँगी। खैर फिलहाल एक दुआ भेज रही हूँ हवाओं के साथ, हर उस दिल तक जो दुख रहा हो। कहीं, किसी के दिल को राहत मिले तो मैं सोचूंगी मुझे भी मिली। और क्या कहूँ फिलहाल :)
#मन_के_गहरे_कोनों_से - 23 #अनुपमा_आपबीती_जगबीती
©Anupama Garg 2022
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