Thursday 10 February 2022

Love Notes - 1

आप जो महसूस करते हैं, वो सामने वाले का अपने प्रति प्रेम नहीं है, वो सामने वाले के अपने प्रति प्रेम की 'आपकी' समझ है | जब मैंने ये समझ लिया तो दो चीज़ें हुईं |

1. मैंने सामने वाले से पूछना शुरू किया कि वो अपनी भावनाएं बताये, उनके शब्दों में | बजाय इसके कि मैं वो समझूँ जो मैं समझ रही हूँ, ये बेहतर है कि सामने वाले को आज़ादी रहे वो समझाने की, जो वो समझाना चाहता है | इसमें सामने वाले की भाषायी या अभिव्यक्ति की सीमितता से कभी कभी जूझना पड़ सकता है, लेकिन अगर उतना पेशेंस भी न हो तो प्रेम सम्बन्ध बनाने ही क्यों हैं, किसी के साथ?
2. मैंने ये शुरुआत से ही ये बताना शुरू कर दिया कि किसी रिश्ते में मुझे क्या चाहिए | ये बता दूँ, कि ये आसान नहीं है, अब भी, इतने सालों बाद भी | पुराने रिलेशनशिप्स की ट्रॉमा, सामने वाले के बैगेज के प्रति बेसिक सेंसिटिविटी, इमोशंस को overanalyze करने से उपजने वाली 'ये तो मैकेनिकल है' की भावना |
ओह, और इस सब के साथ बाज़ार से भी तो जूझना होता है | रोज़ डे, प्रोपोज़ डे, चॉकलेट डे, अलाणा डे, फलाणा डे, रिलेशनशिप कार्ड्स, सेल्फ लव, प्रेम तो चाहिए ही, अकेलापन हैल्थी नहीं है, और क्या क्या नहीं | इस सारी subconscious messaging , कंडीशनिंग से भी तो जूझना है न |
प्यार क्या है, भले एक धेला न पता हो | प्यार, infatuation, desparation, प्रतिबद्धता, सेक्स, डिजायर, प्लेजर में भले राई से रत्ती का फर्क न पता हो हमें, चाहे कंसेंट का 'क' न आता हो, 'न' सुनने की, 'न' कह पाने की कौड़ी बराबर अकल न हो, लेकिन रिलेशनशिप तो चाहिए, क्योंकि समाज में फिट भी तो होना है |
I Love you जिनसे बोलना चाहिए, उनसे तो बोल पाते नहीं हम लोग, ईमानदारी से बोल नहीं पाते, और फिर जादू की उम्मीद करते हैं | इसलिए, एक बार प्रेम की पींगें बढ़ने से पहले ईमानदारी से देख समझ लें कि प्यार चाहिए, या सिर्फ माहौल से उपजी डेस्परेशन है | बाकि तो valentine वीक का जलवा कायम है ही | :)

©Anupama Garg 2022

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