वो जो तुम्हारे खोटे सिक्के हैं
वो जो हर बात पे खिखिया देते हैं
वो जो हर बात को हलके में उड़ाते हैं
उनसे कभी कह के देखो
प्यार है तुमसे
वो तुम्हें ऐसे समेटेंगे,
जैसे भर जनवरी की ठण्ड में,
दिन भर की धूप में सिका हुआ लिहाफ
वो जो तुम्हारे खोटे सिक्के हैं
जो हर बात पे चिल्ला देते हैं
हर बात पे लड़ लेते हैं
जो तुम्हारी whataboutery पे तुमको सुना देते हैं
उनसे एक बार
दिल से कह के देखो
तुम जैसे हो स्वीकार हो
वो तुम्हें ऐसे ढाँप लेंगे
साफ सुथरे, परे रहोगे तुम दुनिया भर की गंद से
वो सोंख लेंगे तुम्हारे सारे आँसू
बन जायेंगे तुम्हारे सारे तकियों का गिलाफ
वो जो तुम्हारे खोटे सिक्के हैं
उन्हें परख परख कर चुनना
कहीं मिलावट न हो कोई
क्या है कि इस दुनिया में
खोटे सिक्के खोते जा रहे हैं
खरे सारे एक जैसे हैं
99 के फेर में
खरा खरा उलझायेंगे तुम्हें
लेकिन बेझिझक बांटने को
यही खोटे सिक्के काम आएंगे
© Anupama Garg 2021 Feb
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