Monday 2 May 2022

सहवास, समझदारी, और सहमति (Consent)

#sexuality_notes_by_anupama – 14

पहली बात, पोस्ट्स की पूरी सीरीज़ है, पढ़ेंगे तो कुछ सीखेंगे। दूसरी बात, भाषा का संयम रखें। यहाँ ट्रोलिंग, बदतमीज़ी, कुंठा, द्वेष, मर्यादा, संस्कारिता, शुचिता, ढ़ोंगीपन, आदि के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति है।  तीसरी बात सवाल सिर्फ गूगल फॉर्म में।  और कहीं जवाब नहीं दिया जायेगा। 

दुःखद है कि सेक्स से obsessed  एक देश में जहाँ 130 करोड़ जनसँख्या है, कामसूत्र का क्लेम है, वहाँ या तो सेक्स और ऑर्गास्म के बारे में बात नहीं होती, या बात होती है तो धमकियों, द्वेष, हिंसा भरी। मैरिटल रेप यहाँ जायज़ समझा जाता है, सदियों से स्त्री का रोल महज पति की सेवदारनी का रहा है।  यहाँ होली है की आड़ में बेहूदे मर्द रिश्तेदारों के छिछोरेपन को बर्दाश्त करना संस्कृति है।  लेकिन ऑर्गास्म की बात करना लक्ज़री है? अगर औरत के ऑर्गास्म की बात करना खाये अघाये पेट का काम है, तो ऐसे ही 130 करोड़ हो गए?

खाये अघाये लोगों के मैसेज आये हैं मेरे पास।  पिछले कुछ महीनों में मेरे पास आये लगभग 100 प्रश्नों में से एक भी इस बारे में नहीं था, कि मैं अपनी पार्टनर को संतुष्ट कैसे करूँ।  मुझे बड़े बूब्स पसंद हैं, मुझे शीघ्रपतन है, क्या वो मुझे छोड़ देगी, मेरा साइज छोटा है, मुझे पोर्न की लत है, मुझे हस्तमैथुन की आदत है, सब सुना मैंने। लेकिन किसी को ये पूछते नहीं सुना, कि मैं अपनी पत्नी को खुश कैसे करूँ ? मैं ये कैसे जानूँ कि मेरी पत्नी को सुख मिला या नहीं ?

ऐसे में सहवास में सहमति के बारे में बात करना हर बात से अधिक ज़रूरी हो जाता है।  इसलिए आज की ये पोस्ट कंसेंट पर।

मुझसे बार-बार सवाल पूछा जाता है कि वास्तव में  सहमति है क्या ? किसकी सहमति मायने रखती है? क्या होता है जब सहमति के दायरों का उल्लंघन किया जाता है? किस परिस्थिति में कहेंगे कि सहमति की सीमाओं का उल्लंघन या अतिक्रमण हुआ? सहमति से जो दायरे तय किये गए, उनका अतिक्रमण न हो, इसके लिए क्या किया जा सकता है ? कैसे तय करें कि ये 'ना में हाँ' वाला मामला है, या 'ना का मतलब ना' वाला?

सहमति वास्तव में है क्या?

यहाँ एक बात तो ये है,  कि सहमति किसी काम को करने की व्यक्ति की इच्छा की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।  यानि ये, कि यदि साफ साफ 'हाँ' न कहा गया हो तो उसे सहमति नहीं माना जाना चाहिए।  जब कोई कहता है कि 'मुझे नहीं पता' , या 'शायद' तो यह सहमति नहीं है। जब वे 'शायद' कहते हैं, तो यह चर्चा और अन्वेषण करने का निमंत्रण है, लेकिन यह सहमति नहीं है। सिर्फ इसलिए कि किसी ने मुस्कुरा कर, 'नहीं' बोला, इसलिए ये मान लिया जाये कि उनकी हाँ है, ये बेहूदी सिर्फ फिल्मों में ही अच्छी लगती है।  'ना में हाँ' टाइप की बकवास असली ज़िन्दगी में बहुत वाहियात है। 

दूसरा पक्ष सहमति का ये है, कि सहमति देने के लिए, दोनों, या सभी भागीदारों का वैधानिक रूप से वयस्क होना ज़रूरी है। वयस्कता की आयु 18 वर्ष है।  क्या ये आयु कम होनी चाहिए, ज़्यादा, या कुछ और, ये इस पोस्ट का विषय नहीं है। इसी तरह नशे के प्रभाव में दी गयी, या धमका कर ली गयी सहमति अमान्य है।  किसी को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाने की उसकी सहमति भी अमान्य है। किसी भी प्रकार की गैर कानूनी गतिविधि में हिस्सेदारी की कंसेंट, भी गैर कानूनी है। 

तीसरी बात, सहमति झूठ बोल कर, फुसला कर, बिना संभावित परिणामों के बताये या समझे, जब ली या दी जाये, तो वैधानिक रूप से भले ही वो मान्य हो, लेकिन, नैतिक रूप से देखा जाये तो वो अमान्य है।  वह सहमति नहीं कही जा सकती ऐसा ethics of sexuality के शोधकर्ताओं का मानना है। 

सहमति या कंसेंट के साथ एक बहुत ध्यान देने योग्य बात ये है कि किसी चीज़ के लिए एक बार कंसेंट देने का मतलब ये नहीं, कि हर बार कंसेंट है।  ऐसे ही किसी एक चीज़ के लिए कंसेंट देने का मतलब ये नहीं, कि उससे सम्बंधित सभी चीज़ों के लिए कंसेंट है।  इसे ऐसे समझें, कि यदि कोई व्यक्ति सेक्स करने के लिए एक बार राज़ी हो, तो इसका मतलब ये नहीं कि हर बार रज़ामंदी है।  इसी तरह सेक्स करने की रज़ामंदी का मतलब ये नहीं है, कि बिना condom के सेक्स करने की रज़ामंदी भी है।  हो सकता है किसी ने एक बार वाइब्रेटर के इस्तेमाल के लिए हाँ की हो, लेकिन उसी व्यक्ति को डिल्डो के इस्तेमाल से आपत्ति हो। 

सबसे ज़रूरी बात, अवधारणा के स्तर पर (conceptually)कंसेंट का व्यक्ति के लिंग से कोई लेना देना नहीं है।  ये सच है, कि पितृसत्तात्मक समाज में मैरिटल रेप, महिलाओं की गैर-रज़ामंदी की अवहेलना, बहुतायत में देखने को मिलती है, और कई बार कुछ वाहियात biased फैसले भी सुनने में आते हैं।  लेकिन वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं की कंसेंट की एक जैसी वैधानिक और नैतिक अहमियत है। 

कई प्रकार की सेक्सुअल एक्टिविटीज़ में एक कॉन्सेप्ट है consensual  non - consent  का। इसे समझाना और समझना दोनों ही काफी मुश्किल है।  इसे प्रैक्टिस करने के लिए जिस तरह का भरोसा, जिस तरह  की सम्प्रेषण कला, जिस तरह की समझदारी की आवश्यकता है, वो आम तौर पर नहीं पायी जाती।  इसलिए हाथ जोड़ कर निवेदन है, कि यदि अपने पार्टनर पर अँधा भरोसा, और कुछ गलत हो जाने की अवस्था में बर्दाश्त का सब्र न हो, तो इस क्षेत्र को पूरी तरह निषिद्ध रखें। 

अब इस पोस्ट का सबसे ज़रूरी हिस्सा।  ये कैसे सुनिश्चित करें कि कंसेंट का सम्मान किया जायेगा, तथा उसकी अवहेलना, उसकी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं होगा?

1.       सबसे पहले, संवाद करें; बहुत डिटेल में।  ये कहना कि इससे excitement ख़त्म हो जाता है, उत्तेजना ख़त्म हो जाती है, सिर्फ ज़िम्मेदारी से भागने के बहाने हैं। अपने साथी को, उनकी पसंद, नापसंद को पूछें, जानें, समझें, स्वीकार करें।  अपनी पसंद नापसंद उन्हें बताएं।  एक दूसरे पर थोपा-थापी न  करें, उससे कुछ नहीं मिलेगा। 

2.       दूसरी बात किसी भी नए व्यक्ति, या अजनबी के साथ पहले दिन इंटिमेसी या शारीरिक नज़दीकी बढ़ाने की जल्दबाज़ी में न रहें।  अगर अब तक सेक्स नहीं किया है, और अगर एक हफ्ता - 2 हफ्ते और नहीं करेंगे, तो जान नहीं निकल जाएगी।  सामने वाले को जान समझ लें, एक दूसरे की सेक्सुअल हिस्ट्री,सेक्सुअल पैटर्न्स, मेडिकल हिस्ट्री, STI  / STD रिपोर्ट्स शेयर कर लें। 

3.       सेफ वर्ड्स, सेफ कॉल्स के बारे में बात करें।  न कहने का एक प्रोटोकॉल तय करें। (इस बारे में जल्द ही विस्तार से बात करूंगी )।  Condoms के इस्तेमाल के बारे में, पिल्स के बारे में, यौन सुरक्षा के बारे में, यदि कोई गंभीर नहीं है, तो इस बात की क्या गारंटी है कि वो आपकी 'हाँ' या '' को गंभीरता से लेंगे?

4.       संदेह की स्थिति में सावधानी बरतें।  मान लिया कि सेक्स के बीच में रुकना निराशाजनक होता है, तकलीफदेह भी हो सकता है।  लेकिन अपने साथी को शारीरिक या मानसिक रूप से दर्द पहुँचाना (चाहे गलती से ही सही), कहीं अधिक निराशाजनक है ! असंतुष्ट होना, असंवेदनशील होने से कहीं बेहतर है !

5.       आज के लिए आखिरी बात।  इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं है।  ये एक पोस्ट पढ़ के आप कंसेंट के चैंपियन हो जाएं ये उम्मीद नहीं है किसी को आपसे।  लेकिन इतनी उम्मीद ज़रूर है कि बात करना शुरू करें, और अगर गलती हो तो मान लें, बजाय ईगो ट्रिप पे जाने के। 

डिस्क्लेमर - मेरी वॉल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता | ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें | प्रश्न पूछना चाहें, तो गूगल फॉर्म में पूछ सकते हैं | इन पोस्ट्स को इनबॉक्स में आने का न्योता न समझें | Google Form Link - https://forms.gle/9h6SKgQcuyzq1tQy6

©Anupama Garg 2022

 

 

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