मुझे इंग्लिश क्यों पढ़ानी है ?
मेरा स्वार्थ है। मुझे उन लोगों के साथ बात करने में, ब्रेनस्टॉर्म करने में मज़ा आता है, जिनका एक्सपोज़र अच्छा हो। ये बात सच है कि इंग्लिश एक्सपोज़र का बेंचमार्क नहीं है। लेकिन ये भी सच है, कि अच्छा लगे या नहीं, जितनी भाषाओँ से अनूदित साहित्य (कथा-साहित्य भी, और कथेतर साहित्य भी ) इंग्लिश में मिलता है उतना हिंदी में तो नहीं ही मिलता। अनुवाद का स्तर भी बहुत अच्छा नहीं होता। ऐसे में मेरे आस पास के इंटेलीजेंट शार्प लोग अगर अंग्रेजी सीखें तो मेरा अपना भी स्वार्थ है।
तो फिर पैसे क्यों लेने हैं ?
क्योंकि भैया, भूखे भजन न होइ। मैं किसी के गले पड़ के तो अंग्रेजी सिखाती नहीं। अगर कोई सीख रहे हैं, तो कुछ तो उनकी ज़िन्दगी में भी बदल रहा होगा सीख के ? सोच के देखिये। कितने लोग मिलते हैं शिकायत करते हुए कि काश हमें कोई अंग्रेजी सिखाता। हमारी ज़िन्दगी में ये बदल जाता, वो हो जाता। लड़की पट जाती या लड़का पट जाता, इंटरव्यू क्रैक हो जाता, एग्जाम क्लियर हो जाता, प्लेसमेंट हो जाता, और कुछ नहीं तो हम अच्छी पुस्तकें पढ़ लेते। इस सब के बाद भी अगर मैं फीस लिए बिना अंग्रेजी सिखाऊँ तो मेरे घर का राशन पानी, और संडे को कोक बिरयानी का इंतज़ाम आप कर दो यार !
इतने सब यूट्यूब चैनल और किताबें हैं तो, फिर आप से क्यों पढ़ें?
अगर यूट्यूब चैनल और किताब से सीखने वाले आप होते, तो ये सवाल ही न होता। डिस्कशन, explanation, इंडस्ट्री में लिखने बोलने पढ़ने, अंग्रेजी से दाल रोटी कमा के खाने का लगभग 20 साल का अनुभव है। मिल जाये यूट्यूब पे तो ज़रूर लीजिये। मुझे आपके लिए ख़ुशी ही होगी।
आप से सीखने के लिए क्या करना पड़ता है ?
हर बहाना 6 महीने के लिए बिलकुल छोड़ देना पड़ता है। वीडियो को क्लास का substitute नहीं समझना होता। उसके बाद लगातार अभ्यास करना पड़ता है। भाषा को जीना पड़ता है। बार बार बोल कर ज़ुबाँ पे अल्फ़ाज़ का स्वाद चखना पड़ता है। किताबों से इश्क़ लड़ाना होता है। फिर भी कभी कभी डाँट पड़ती है।
आप व्याकरण पर इतना ज़ोर क्यों देती हैं ?
क्योंकि व्याकरण के बाहर की खूबसूरती के पैमाने तब समझ आते हैं जब पहले व्याकरण की खूबसूरती समझ आये। रूल समझेंगे तभी तो उसे सुंदरता से तोड़ेंगे। जब कहीं अटकेंगे तो गूगल इस्तेमाल किये बिना अपनी गलती कैसे सुधारेंगे अगर ये नहीं जानेंगे कि व्याकरण में इस विषय को कहाँ ढूँढा जाये।
आप कैसी टीचर हैं ?
मेलोडी खाओ, खुद जान जाओ :D
#English_With_Anupama
©Anupama Garg 2022
As authentic and as vulnerable I can be in a semi-personal, public space. I am who I am.
Friday, 20 May 2022
English and Me
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