कुछ डेढ़ - दो साल पहले की बात है कि एक दोस्त ने अपना Sufi Whirling का वीडियो किसी ग्रुप में शेयर किया | उनकी Sufi Whirling तो थी ही खैर मंत्रमुग्ध कर देने वाली, लेकिन जिस दूसरी चीज़ में मैं और बँध गयी वो था कृष्णदास का कंठ स्वर ! आत्मा की गहराइयों से उठता, 'काशी विश्वनाथ गंगे' गाता, भजता, जपता, पुकारता, उन्मुक्त स्वर जो गंगा के प्रवाह जैसा निर्बाध, और निश्छल था ! मैं तब कृष्णदास के बारे में कुछ नहीं जानती थी, नीब करौरी बाबा का भी कभी नाम सुना हो ऐसा याद नहीं, लेकिन उस दिन के बाद कृष्णदास की आवाज़ महीनों मेरे घर में गूंजती रही | फिर lockdown में पता चला कि कृष्णदास हर सप्ताह अपने फेसबुक पेज पर कीर्तन करते हैं, और उसके बाद पता चला कि वे Chai n Chat के नाम से एक मासिक ऑनलाइन सत्संग / मीटिंग भी करते हैं |
आम तौर पर मुझे धर्मगुरुओं, कीर्तनियों, बाबाओं, सन्यासियों, महाराज जी लोगों को संदेह की दृष्टि से देखने की आदत है | लेकिन मेरे जीवन में दो लोग ऐसे हैं, जिनके बारे में मुझे एक पल को भी संदेह नहीं हुआ | दोनों अभी धरती पर हैं, जीवित हैं, और दोनों ही धर्म की बेहद ही मानवीय समझ रखते हैं | इसका ये कतई मतलब नहीं कि ऐसे और लोग नहीं हैं, सिर्फ इतना कि मेरे लिए इन दो लोगों के संपर्क में आना भर ही उम्मीद जगाने को काफी था |
खैर मेरे जो अनुभव कृष्णदास के साप्ताहिक कीर्तन और Chai n Chat के साथ हुए वो तो एक अलग विषय है, लेकिन जो दूसरी बात शुरू हुई यहाँ से वो था ध्यान | मैं उन लोगों में से हूँ जो दो मिनट भी टिक कर नहीं बैठ पाते, लेकिन अगर कुछ पढ़ना हो, तो एक साथ 15 - 20 घंटे में २ किताबें निपटना मुझे बड़ी बात नहीं लगती | लेकिन आप मुझे कहिये, आँख बंद कर के ज़रा 5 मिनट बैठो, तो मैं या तो सो जोऊंगी, या छटपट शुरू कर दूँगी, या फिर वाकई रो दूँगी !
जिन दिनों मैंने कृष्णदास के संगीत को पाया, उन्हीं दिनों मैं Pranic Healing , गाइडेड मैडिटेशन, Ho'oponopono आदि भी परख रही थी | ऐसे में मेरे लिए ये बहुत ही अचम्भित करने वाली बात थी, कि कृष्णदास, देव प्रेमल, नीना राव आदि की आवाज़ों में कुछ मंत्र मुझे वाकई ध्यान की अवस्था में ले जाते थे ! इसे चाहे खुद को बहलाना कह लीजिये, ध्यान को नशा कह लीजिये, या सेल्फ-हिप्नोसिस की साइकोलॉजी पढ़ लीजिये, कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा | सच ये है कि ये जो भी था, ये मेरे जीवन में बहुत ठहराव लाया | ये जो भी था, इसने मुझे depressive relapse से बचाया |
क्या ध्यान सबके लिए काम करता है? मुझे नहीं मालूम | क्या ध्यान का scientific बेसिस है? कई institutes की रिसर्च कहती है हाँ, कई की अभी कुछ नहीं कहती, और कई की कहेगी शायद न ! लेकिन मैं सिर्फ अपने अनुभव से कह सकती हूँ | मैं ये जानती हूँ कि मैं जो 5 मिनट टिक नहीं पाती थी, 15 से 20 मिनट तक blank होने लगी | मैं दोनों lockdown में घर और परिवार से दूर थी | सेकंड वेव में मेरी माँ और भाई covid की चपेट में आये थे | लेकिन मेरी lockdown anxieties ने मेरा दिमाग थोड़ा कम ख़राब किया, और मुझे पगलाया नहीं, ये मेरे लिए आश्चर्यजनक था |
क्या ये संगीत का असर था, मंत्र का, शरणागति का, ध्यान का, मुझे नहीं मालूम | मेरे लिए इतना काफी था कि एक सेफ स्पेस बन रही थी, जहाँ मेरे लिए अपनी कमियाँ खुद के प्रति स्वीकार करना आसान हो रहा था | यहाँ मेरे लिए अपने आप के प्रति ऑब्जेक्टिविटी बनने, और बढ़ने लगी थी, और इसका असर मेरे निर्णयों, मेरे communication के पैटर्न्स, मेरे संबंधों, मेरे व्यवहार, मेरी कार्यक्षमता, मेरे खान पान, मेरे स्वास्थ्य, मेरे संगीत के पुनराभ्यास, सभी पर पड़ रहा था |
मैं ये भी कहती चलूँ, कि ध्यान तक पहुँचने में मेरा अपना सफर आसान नहीं रहा है | मैंने संगठित और असंगठित धर्म की पेचीदा गलियों के बिना चक्कर खाये भी सालों ग्रन्थ पढ़े हैं, विमर्श किये हैं | मैंने cults हमेशा दूर से सूंघे हैं, फ्रॉड बाबाजी लोग मुझे हमेशा दूर से दिखे हैं | मैंने किसी को भी मन से 'स्वामीजी' कभी नहीं कहा है | मेरे नार्मल trust issues धार्मिक और आध्यात्मिक स्पेस में आते ही 1000 फण के शेषनाग बन जाते हैं | इसलिए सिर्फ एक मनुष्य है, जिनकी आवाज़ में 'Grace cannot be sought, grace happens if it happens. All you need to do is to show up' सिर्फ एक बार सुन कर मैं हर बार जैसे तैसे उठ खड़ी होती हूँ | और सिर्फ एक दूसरा व्यक्ति है, जिसे पिता के अलावा मैंने बाबा कहा है |
इन तीनों ही व्यक्तियों (पिता और बाकि दोनों) की भक्त नहीं हूँ | बाकि दोनों से तो सामान्यतः बात भी नहीं ही होती | लेकिन ये समझ गयी हूँ कि जब, जैसे, जितना validation और reassurance लक्ष्यप्राप्ति के लिए जरूरी होगा, मिल जायेगा | All I have to do is to show up |
आज रात नींद नहीं आयी और मैंने लूप पर जो सुना, उसका लिंक कमेंट बॉक्स में है | अब शायद थोड़ी देर में आँख लग जाये | तब तक आप चाहें तो सुन सकते हैं वही जो मैं रात भर से सुन रही हूँ :)
©Anupama Garg 2022
No comments:
Post a Comment
Share your thoughts