एक प्रेम सम्बन्ध के झंझावात से निकली शिवि , जब तक अकेलेपन के सोग को अकेलेपन के उत्सव में थोड़ा बहुत बदल पायी, तब तक, सारी दुनिया कोविड के चक्रव्यूह में गहरा धंस चुकी थी | टिंडर, OKCupid वगैरह पे जाने का मतलब ही क्या था, किसी से मिलना तो था नहीं, आइसोलेटेड रहना था |
फिर 2 महीने के लगभग lockdown, वर्क फ्रॉम होम, और खुद को व्यस्त रखने के अनगिनत उपायों के बाद, धीरे धीरे कहीं कहीं जाना शुरू किया | 5 महीने बाद घर गयी | 5 महीनों तक घर रही, फिर 1 महीना किसी दोस्त के, क्योंकि दम घुटने लगा | न घर पे डेट करने की संभावना, न दोस्त के शहर में |
अब जब शिवि लौट कर उस शहर आयी है, जिसे अपना कहती है, तो नौकरी छोड़ कर काम ढूंढ रही है | वरना घर लौट जाएगी, ऐसा तय है | लेकिन अब काम से काम कुछ लोगों से बात करना शुरू किया जा सकता है ऐसा लगा | अकाउंट तो बना लिया, कुछ ठीक से प्रोफाइल भी दिखे | लेकिन सिर्फ काम ही करना होता तो भी कोई बात थी, दुनिया बीमारी की अगली लहर से जूझ रही है |
भाई की तबियत नासाज़ है, माँ symptoms दिखा रही हैं | और ऐसे में जब शादी शुदा मर्द दोस्ती करना चाहते हैं, सिंगल्स ज़बरदस्ती अपने entitlement के साथ इनबॉक्स में चले आते हैं | दसियों साल से जानने वाले पुरुष भी दोस्त बन कर नहीं, मालिक बन कर ज़िन्दगी में लौटना चाहते हैं, तो मन करता है दुनिया को भाड़ में जाने को कह दे |
आखिर कैसे करे कोई कोविड में प्रेम?
© Anupama 2021
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