कई बार मुझसे लोग पूछते हैं, फेसबुक पे इतना क्यों ? क्योंकि किस्मत अच्छी है मेरी। क्योंकि जिस दिन मैं उदास होती हूँ, मैं बिना किसी प्रेशर के ये कह सकती हूँ कि मैं उदास हूँ। कम्युनिटीज का काम एक दूसरे की टाँग खींचना नहीं, एक दूसरे को आगे बढ़ाना होता है। जिस दिन मुझे Vitamin Love का एक्स्ट्रा डोज़ चाहिए होता है, मेरी community मुझे ये नहीं कहती कि तुम उदास मत हो,तुम कमज़ोर मत पड़ो। उस दिन आप लोग कहते हैं, ये लो प्यार! जिस दिन मैं लिखने से जूझते जूझते अटक ideas मांगती हूँ, आप मेरे साथ खड़े होते हैं। जिस दिन मैं भड़की हुई होती हूँ, आप मुझे 'शांत गदाधारी भीम' ही नहीं कहते, कभी कभी मेरे साथ नालायक लोगों को कूच भी देते हैं।
आप लोगों को ये भरोसा भी है कि मैं हरसंभव मदद करूंगी, और आप लोग बेखटके कह भी देते हैं। ये भरोसा, ये आत्मीयता एक बार और पहले कमाई थी, और फिर वो दुनिया छूट गयी थी, लेकिन वहां के लोग आज भी हैं, वो रिश्ते आज भी हैं। ऐसे ही ये दुनिया भी है। मेरे लिए इसी दुनिया में multiverse है। सच है कि यहाँ नौटंकी भी खूब होती है, लेकिन उस नौटंकी पर फोकस करने की न फुरसत है न नीयत। आप में से कई लोग मेरे साथ फेसबुक के बाहर भी शिद्दत से खड़े होते हैं, जितने कि इस ecosystem में। मेरा परिवार भी आपके स्नेह की ऊष्मा,उतनी ही महसूस करता है, जितना कि मैं। इतना बहुत है चलते रहने के लिए, न थकने के लिए, थक कर बैठने के लिए, गिर कर फिर उठने के लिए।
#शुक्राने_की_डायरी_से -5 ©Anupama Garg 2022
As authentic and as vulnerable I can be in a semi-personal, public space. I am who I am.
Pages
▼
No comments:
Post a Comment
Share your thoughts