Wednesday 20 April 2022

Gratitude Journal 1

कई बार आप इर्द गिर्द देखते हैं, और आपको सिवाय निराशा और हताशा के कुछ नजर नहीं आता। आपको उदास होने के 100 कारण दिखते हैं, मां पिता की उम्र, घर वालों का स्वास्थ्य, खुद के स्वास्थ्य में आने वाले परिवर्तन, अपना करियर, अपने दोस्तों की बीमारी, देस दुनिया में हर तरफ लगी आग, भूखे मरते दुखी लोग, कभी खत्म न होने वाली लगती अपनी ज़िम्मेदारियों का बोझ, और न जाने क्या क्या । 
 
ऐसे में डिप्रेशन होना, थक जाना, उदासी स्वाभाविक है। खास तौर पर अगर पहले कभी भी mental health crisis झेला है तो और भी ज़्यादा। इससे कोप करने का सबका अपना अपना तरीका है। उन तरीकों में सही क्या, गलत क्या? लेकिन उन तरीकों में हानिकारक चीज़ें शामिल न हों तो बेहतर। 
 
जैसे मैं ये अनुभव से जानती हूं कि मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर शराब में गम गलत करने से बेहतर, काम में डूब लेना है। जैसे मेरे लिए किसी वक्त खाना एक बहुत आसान तरीका था इमोशंस से कोप करने का। लेकिन diabetes पता चलने के बाद अपने आप ही ये coping mechanisms बदलने लगे धीरे धीरे।
मेरे लिए बहुत से एक्सपेरिमेंट्स में से एक चीज जो पिछले कुछ सालों से काम करती है, वो है gratitude जर्नलिंग । हर साल मैं 7/15/21 दिन टाइप का कुछ लिखती हूं, इस बार लेकिन मैं पूरे 51 पोस्ट्स करना चाहती हूं। कर पाऊंगी या नहीं, ये नहीं जानती, लेकिन ये जानती हूं, कि मैं ये कर के देखना चाहती हूं।
 
मगर, 2 disclaimers के साथ - 1. सिर्फ इसलिए कि मैं कर पाऊंगी या करूंगी, इसका मतलब ये नहीं है, कि ये सबको करना चाहिए, या कि सबको ये अच्छा लगे। इसलिए अगर आपको मेरी पोस्ट्स से थोड़ी झल्लाहट हो, तो कुछ दिन के लिए उन्हें न देखें।
2. मैं खुद के लिए ये ध्यान रखना चाहती हूं, कि ये पोस्ट्स न तो मेरे अपने काम को कमतर आंकें, न ही मुझे टॉक्सिक पॉजिटिविटी का शिकार बना दें। किसी बात के लिए शुक्रगुज़ार होने का मतलब ये नहीं, कि मैं उसके लिए मेहनत नहीं करती। न ही ये कि मैं जीवन में आज की समस्याओं से मुंह मोड़ लूं, या उन्हें नकार दूं। 
 
इसलिए जब मुझे ऐसा लगेगा कि इन दोनों डिस्क्लेमर्स में से कोई भी समस्या सताने लगी है, तो रोक दूंगी ये journaling । हालांकि ऐसा होने का अंदेशा कम है, लेकिन अगर हुआ, तो कुछ और ट्राई किया जायेगा । तब तक के लिए journey चालू आहे 💕💟

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